क्या प्लास्टिक के कप में चाय पीने से होता है कैंसर?
चाय जो हर घर में बनती है, चाय जिसे पीकर लाखों लोग अपने दिन की शुरुआत करते हैं. दिन में 3 से 4 कप चाय पी लेना तो आम बात होती है. लेकिन ज़रा ध्यान दें, कहीं यही चाय आपकी जान के लिए खतरा तो नहीं बन रही है. ख़ासकर अगर आप दफ़्तर में या घर के बाहर से प्लास्टिक कप में चाय मंगाते हैं. सवाल ये है कि क्या आपके चाय के प्याले में कैंसर है. क्या प्लास्टिक या पेपर कप में चाय पीना मौत को निमंत्रण है. अगर आप भी चाय के शौकीन हैं, तो ये ख़बर ज़रूर देखिए.
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यूं तो प्लास्टिक के नुकसान की ख़बरें वक्त वक्त पर आती रहती हैं. लेकिन आजकल एक ऐसा मैसेज वायरल हो रहा है जिसके मुताबिक अगर प्लास्टिक के कप में चाय पी गई तो कैंसर निश्चित है. ये बात और कोई नहीं, सबसे प्रतिष्ठित अस्पताल एम्स के हवाले से कही जा रही है. इस मैसेज के मुताबिक एम्स ने कैंसर होने के कारण बताए हैं.
मैसेज में कहा जा रहा है कि जब प्लास्टिक गर्मी के संपर्क में आता है तो ऐसा रसायन उतपन्न करता है जो 32 प्रकार के कैंसर का कारण बनता है. इस प्रकार ये मैसेज 100 फालतू के मैसेज से बेहतर है. अपने मित्रों औऱ रिश्तेदारों को सूचित करें ताकि वो ऐसे प्रभाव से दूर रहें. चूंकि प्लास्टिक कप का इस्तेमाल गली-गली में मौजूद चाय वाले करते हैं, इस मैसेज से हड़कंप है
सबसे पहले एम्स अस्पताल का रुख किया गया. क्योंकि एम्स अस्पताल में कैंसर इलाज का बकायदा एक विभाग है. 'आज तक' संवाददाता अभिषेक तिवारी अस्पताल के उस विभाग में पहुंचे और हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट डॉक्टर जीके रथ से संपर्क किया. उनसे जानने की कोशिश की गई कि प्लास्टिक और कैंसर का क्या रिश्ता है, क्या कोई गर्म चीज़ अगर प्लास्टिक की कप में डाली जाए तो वो ज़हरीली बन सकती है? क्या प्लास्टिक के बर्तन में खाना खाने से भी कैंसर हो सकता है?
इसके जवाब में एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि ये रिसर्च में अभी तक सामने नहीं आया कि प्लास्टिक के बर्तन में खाना खाने और प्लास्टिक कप में चाय पीने से कैंसर हो सकता है. हालांकि उन्होंने कहा कि खराब क्वालिटी के प्लास्टिक का इस्तेमाल लगातार करने से दूसरी कुछ बीमारियां हो सकती हैं, लेकिन कैंसर जैसी बीमारी का खतरा गलत है. यानी एम्स के डॉक्टरों ने वायरल खबर को अफवाह करार दिया.
लेकिन चाय से जुड़ी 'आज तक' पड़ताल यहीं खत्म नहीं हुई. अब बारी है उस दूसरे मैसेज की जिसमें पेपर कप में मौत वाली लेप का ज़िक्र है. क्योंकि मैसेज में दावा किया जा रहा है कि चाय के पेपर कप में वैक्स कोटिंग होती है जो गर्म चाय के साथ पिघलती है और आपके शरीर में जाती है, इससे कैंसर डायबिटीज़, दिल की बीमारियां और किडनी फेल हो सकती है. इसलिए 'आज तक' की टीम पहुंची डिस्पोज़ेबल पेपर कप बनाने वाली एक कंपनी में ये जानने के लिए कि पेपर कप के अंदर जो चमकदार कोटिंग होती है वो क्या होती है. मयन इंटरप्राइज़ेज के मालिक प्रतीक अग्रवाल से पूछा कि क्या वाकई इन कपों में मोम की परत चढ़ाई जाती है. उन्होंने बताया कि ये फूड ग्रेड कोटिंग है, वैक्स नहीं है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या कप की कोटिंग चाय के तापमान से पिघल सकती है? प्रतीक ने बताया कि वैक्स कोटिंग वाले कप सात साल पहले ही बनना बंद हो गए. हमने उनसे पूछा कि क्या ये प्लास्टिक फूड कोटिंग गर्म चाय के तापमान में पिघल सकती है और चाय के साथ शरीर में जा सकती है. उन्होंने बताया कि मेल्टिंग प्वाइंट 220 डिग्री होता है और चाय 100 डिग्री से ज़्यादा नहीं होती.
आखिरी सवाल था कि क्या पेपर कप में चाय पीना सुरक्षित है? ये जवाब कप बनाने वालों से जानना सही नहीं होता, लिहाज़ा मैक्स अस्पताल के डॉक्टर अंकुर बहल से बात की गई और सवाल किया कि क्या लोग बिना किसी डर के डिस्पोज़ेबल पेपर कप में चाय पी सकते हैं. डॉक्टर ने साफ कर दिय़ा कि पेपर कप में चाय पीना सुरक्षित है. और कैंसर जैसी बीमारियों की बात गलत है. यानी प्लास्टिक के कप में चाय पीना बिल्कुल सुरक्षित है.
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